पीसीओडी होने पर क्यों नही होता है ओवेल्युशन ? जानिए पीसीओडी कैसे ओवेल्युशन को प्रभावित करता है?

जब मासिक धर्म अनियमित होता है तो डॉक्टर के मुंह से पीसीओडी शब्द सुनाई देता है, हम जानेंगे कि पीसीओडी क्या है और इसका कारण क्या है। इसे आधुनिक दुनिया की बीमारी कहने में कोई बुराई नहीं है। आजकल यह रोग कई महिलाओं में पाया जाता है। महिलाओं में इस बीमारी के बारे में बहुत ही कम जागरूकता है।

पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज या पीसीओएस पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का प्रचलन आजकल युवा महिलाओं में बढ़ रहा है। इन दर्दनाक समस्याओं में मासिक धर्म की अनियमितता, वजन बढ़ना, मुंहासे और गर्भावस्था के दोष शामिल हैं। इसे समय पर चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है। तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, कई डॉक्टर के इलाज के बजाय घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार पसंद करते हैं।

पीसीओडी क्या है ?

पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी है। लेकिन जो महिलाएं इस हार्मोनल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, उन्हें अभी भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। डॉक्टरों के मुताबिक पीसीओएस एक नहीं बल्कि कई तरह के होते हैं। लेकिन ज्यादातर महिलाओं को इसके बारे में कुछ नहीं पता होता है। वे नहीं जानते कि वे किस तरह के पीसीओएस से पीड़ित हैं। पीसीओएस के प्रकार, लक्षण और उपचार को जानना जरूरी है ताकि भविष्य में स्थिति और खराब न हो। डॉक्टरों के मुताबिक अलग-अलग तरह के पीसीओएस के भी अलग-अलग लक्षण होते हैं।

यदि इन लक्षणों की समय पर पहचान नहीं की जाती है, तो उचित उपचार में देरी हो सकती है। सभी महिलाओं के लिए पहला लक्षण अनियमित पीरियड्स होता है। यदि आप जानते हैं कि आप ओवुलेट नहीं कर रही हैं और पीरियड्स समय पर नहीं आ रहे हैं, तो आपको यह पता लगाना चाहिए कि आप किस प्रकार के पीसीओएस से पीड़ित हैं। यहां हम आपकी मदद करने के लिए पीसीओएस के प्रकार, उनके कारणों और लक्षणों के बारे में बताएंगे। इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आप किस प्रकार के पीसीओएस से पीड़ित हैं।

 

पीसीओडी के प्रकार क्या है और कैसे यह ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है?

यहां पर पीसीओडी तीन प्रकार बतायें है जोकि लक्षणों पर आधारित है - 

  1. इंसुलिन प्रतिरोधी पीसीओएस - यह पीसीओएस का सबसे आम प्रकार है। इसमें इंसुलिन का स्तर बढ़ने पर ओव्यूलेशन रुक जाता है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। इस प्रकार के पीसीओएस के लक्षणों में वजन बढ़ना, मिजाज, मुंहासे और अनियमित मासिक धर्म शामिल हैं। आपको पता है कि इन लक्षणों वाली पीसीओएस महिलाओं को बॉर्डरलाइन डायबिटिक माना जाता है।
  2. सूजन पर आधारित पीसीओएस - यह एक प्रकार का पीसीओएस है जिसमें महिलाओं को वजन बढ़ने का अनुभव नहीं होता है। यह समस्या तब होती है जब सूजन आ जाती है। ऐसे में ओव्यूलेशन रुक जाता है और मासिक धर्म भी अनियमित हो जाता है। चीनी, सोया, डेयरी उत्पाद अक्सर ओव्यूलेशन और अनियमित मासिक धर्म का कारण बनते हैं। इसका मतलब है कि ये लक्षण ओव्यूलेशन की कमी के कारण हो सकते हैं।
  3. सिंथेटिक आधारित पीसीओएस - इस प्रकार का पीसीओएस उन महिलाओं में अधिक आम है जिन्होंने गर्भनिरोधक गोलियाों का अधिक सेवन किया हैं।  यह ओव्यूलेशन को दबा देता है। ज्यादातर महिलाओं में यह स्थिति ज्यादा समय तक नहीं रहती है। गोलियों के असर के बाद वे ओव्यूलेशन फिर से शुरू करते हैं। लेकिन कुछ महिलाएं महीनों और सालों तक ओव्यूलेट नहीं कर पाती हैं। यद्यपि पीसीओएस के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, उपचार उन घटकों के लिए है जो पीसीओएस के लक्षण दिखाते हैं। जैसे मधुमेह की दवाएं। मधुमेह में दी जाने वाली दवाएं पीसीओएस को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर शरीर में शुगर का स्तर बढ़ जाता है तो पीसीओएस की संभावना भी बढ़ सकती है।

पीसीओएस से बचने के उपाय - 

  1. यदि को  इंसुलिन प्रतिरोधी पीसीओएस है, तो आपको रक्त शर्करा को नियंत्रित करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप अपने आहार में दालचीनी का सेवन बढ़ाएं।
  2. एक अच्छी रात की नींद लें। 
  3. चीनी से दूरी बनाए । 
  4. मैग्नीशियम की खुराक लें ।
  5. इंसुलिन स्पाइक्स को रोकने के लिए भोजन के बाद हर दिन पैदल चलें। 

यह सभी जानकारी आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से एक खास बातचीत के दौरान प्राप्त हुई है। यदि आप भी पीसीओडी की वजह से ओव्यूलेश से परेशान है तो आशा आयुर्वेदा में संपर्क करें।