Getting Pregnant: Tips for Trying to Conceive

कोशिश करने के बाद भी कंसीव नहीं कर पा रहीं बेबी तो ये टिप्स हैं मददगार 

 

आज के दौर में बच्चा न पैदा होना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। बच्चा न पैदा होने की समस्या को निःसंतानता कहा जाता है। निःसंतानता के कई कारण है।  जिसकी वजह से महिलाओं की फर्टिलिटी कमजोर हो जाती है। कंसीव न करने के पीछे महिलाओं को प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित कई बीमारियां होती है। यदि कोई महिला इनमें से Uterine fibroids, anemia, pelvic inflammatory disease, thyroid आदि में से किसी एक  बीमारी से गुजर रही हैै।  तो बच्चा कंसीव करने में मुश्किल आती है। 

 

इस सभी स्वास्थ्य समस्याओं के अतिरिक्त खराब लाइफस्टाइल, डाइट और शराब, सिगरेट का सेवन, मोटापा, तनाव इत्यादि का महिलाओं की फर्टिलिटी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे कारण बांझपन के लिए जिम्मेदार माने जाते है। इनमें सबसे अहम फैक्टर है उम्र, क्योंकि यदि आपकी उम्र अधिक है , तो ऐसे में बच्चा कंसीव करने में भी खासी दिक्कत जाती है। 

 

आज के आधुनिक समय में हर समस्या का इलाज तो है, परंतु इसकी सफलता दर बहुत ही कम और साइड इफैक्ट बहुत ज्यादा है । ऐसे में यदि आप किसी एक बीमारी का इलाज करवा रहे है। तो वह बीमारी ठीक हो या न हो, परंतु इन दवाओं की बजह से अन्य बीमारियों के होने के पूरे चांस होते है। दूससी बात यह है, कि आधुनिक उपचार बहुत ही मंहगे और हर किसी की पहुंच से बाहर है। ऐसे में इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना करने के लिए लिए वैकल्पिक उपचार में आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार आपकी मदद कर सकते है। 

 

कैसे हर्बल ट्रीटमेंट इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करने में आपकी मदद करते है ?

नेचुरल और हर्बल उपचार की सहायता से बच्चे न कंसीव करने की समस्या से निजात पाया जा सकता है। हर्बल उपचार पूरी तरह से साइड इफैक्ट फ्री होते है और इनके सेवन से शरीर में किसी भी प्रकार की अन्य बीमारी होने की जरा सी भी संभावना नही होती है। 

 

बहुत सारे ऐसे भी कपल्स है जिन्होंने ने लाखों कोशिश कर ली फिर भी कंसीव करने में नाकाम रहें है। तो उनके लिए यह घरेलू उपचार बहुत ही काम के हो सकते है। 

  1. प्रेगनेंसी की संभावना को बढ़ाने के लिए आपको शुक्र धातु वर्धक भोजन करना चाहिए। ऐसा भोजन करने से ओवुलेशन में मदद मिलती है । जिससे आप आसानी से गर्भधारण कर सकती है। 
  2. पुरुषों को भी अपने शुक्राणुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ऐसी डाइट और जीवनशैली का अनुशरण करना चाहिए। जिससे हेल्दी शुक्राणु तैयार हो सकते। 
  3. गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए 19 से 25 के बीच एक सामान्य बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बनाए रखना आवश्यक है।
  4. योग - व्यायाम महिलाओं को स्वास्थ्य बनाए रखने में भी मदद करता है।  जिससे गर्भावस्था की संभावना पर अधिक बढ़  जाती  है।
  5. एक स्वस्थ, संतुलित आहार पुरुषों और महिलाओं दोनों के समग्र प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  6. धूम्रपान बिल्कुल न करें अगर आप माँ बनना चाहती है। धूम्रपान का एस्ट्रोजन के स्तर पर एक ज्ञात नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह ओव्यूलेशन को खराब कर सकता है। धूम्रपान करने वाले पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी हो सकती है।
  7. कैफीन का सेवन अधिक मात्रा में न करें। क्योंकि एक दिन में 1 कप से अधिक कैफीन का सेवन गर्भपात के उच्च जोखिम को बढ़ा सकता है। 
  8. अधिक शराब का सेवन हो सकता है घातक । गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं, महिलाओं को शराब सेवन से दूर ही रहना चाहिए। क्योंकि भारी शराब का सेवन उच्च एस्ट्रोजन के स्तर से जुड़ा होता है, जो अंडे के विकास को बाधित कर सकता है। यह पुरुषों के लिए कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर से जुड़ा हुआ है और स्तंभन दोष का कारण बन सकता है।
  9. नशीली दवाओं का उपयोग समग्र प्रजनन स्वास्थ्य को खराब कर देता है।  इसके सेवन से पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या को भी कमी आ जाती है। मनोरंजक दवाएं (Recreational drugs) जैसे कोकीन और मारिजुआना, शुक्राणु उत्पादन (sperm production) को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, स्टेरॉयड पुरुष प्रजनन क्षमता के मुद्दों का कारण बन सकता है।
  10. उच्च तापमान आपकी प्रजनन क्षमता को खराब कर सकता है।  क्योंकि अंडकोष में शुक्राणु परिपक्व होते हैं, जो शरीर के सामान्य तापमान से कुछ डिग्री कम होते हैं, नियमित रूप से अंडकोश के तापमान को बढ़ाने वाली गतिविधियों में शामिल होने से शुक्राणु उत्पादन कम हो सकता है। लैपटॉप को सीधे गोद में रखना, गर्म टब में अत्यधिक समय और तंग अंडरवियर पहनने से अंडकोष का तापमान बढ़ा सकते हैं।
  11. यौन संचारित रोग (Sexually transmitted diseases) क्लैमाइडिया, गोनोरिया और अन्य एसटीडी फैलोपियन ट्यूब को नुकसान और निशान (scarring ) पैदा कर सकते हैं। यह क्षति (damage ) ट्यूबल कारक बांझपन का कारण बन सकती है। एसटीडी को पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) से भी जोड़ा जाता है, जिससे बांझपन का खतरा बढ़ सकता है।

 

यदि आप इन सभी टिप्स को ध्यान में रखकर ट्राई करेंगे तो जरुर आपको आसानी से कंसीव करने में मदद मिलेगी। अगर तब भी कंसीव ने हो तो डॉ से परामर्श करें।