Symptoms of infertility in hindi

कुछ ऐसे संकेत जो बताते हैं, मां बनने के लिए तैयार नहीं है आपका शरीर- symptoms of infertility in hindi

 

कई महिलाओं को मां बनने में बहुत परेशानी होती है। ऐसा माना जाता है कि मां बनने के लिए सबसे अहम चीज़ पीरियड्स होना है। लेकिन कुछ महिलाओं को पीरियड्स होने के बावजूद गर्भधारण करने में दिक्कत होती है। इस समस्या को महिला इनफर्टिलिटी कहते हैं।

हर बार हर मामले में इनफर्टिलटी के संकेतों का पहचानना आसान बात नहीं है और कई बार महिलाओं को इनफर्टिलिटी के कारण के बारे में जानना मुश्किल हो सकता है। यही वजह है कि महिलाओं को प्रजनन क्षमता तंत्र के स्‍वास्‍थ्‍य के मामले में सतर्क रहना चाहिए और इनफर्टिलिटी के शुरुआती संकेतों (symptoms of infertility in hindi) पर ध्‍यान देना चाहिए। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको महिला इनफर्टिलिटी के लक्षण के बारे में जानकर इस परेशानी से जल्दी छुटकारा पाया जा सकता हैं। 

 

 

इनफर्टिलिटी के लक्षण- Symptoms of Infertility

सबसे पहले आपको समझना होगा कि कंसीव करने में समय लगता है लेकिन अगर आप एक साल तक बिना कोई असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बाद भी महिला गर्भवती नहीं होती तो यह चिंता की बात है। ऐसा माना जाता है कि  लंबे समय से प्रेगनेंट होने की कोशिश कर रही महिला में इनफर्टिलिटी के कारण कई हो सकते है जिससे  उनको सफलता नहीं मिल पा रही है। इन निम्नलिखित में कई ऐसे इनफर्टिलिटी के लक्षण शामिल हैं:
पीरियड्स में परेशानी

डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि इनफर्टिलिटी के लक्षण में अनियमित पीरियड्स, पीरियड्स के दौरान दर्द होना या फिर पीरियड्स न होना, अगर इन तीनों में कोई भी परेशानी है तो महिला इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। कई महिलाओं को सही से या समय पर पीरियड्स नहीं होते तो किसी को पीरियड्स के समय बेहद दर्द होता है। इन दोनों वजहों से भी निसंतानता का खतरा बना रहता है। ऐसी समस्या में जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करें। 

गर्भाशय से खून निकलना

इनफर्टिलिटी के लक्षण पीरियड्स के अलावा कभी कभी गर्भाशय में हल्का हल्का खून निकलना भी निसंतानता का कारण हो सकता है। इस तरह की ब्लीडिंग को फाइब्रॉएड्स या रसोली कहते है। यह एक प्रकार का ट्यूमर होता है जो मांसपेशियों के टिश्यू से मिलकर बनता है। इस परेशानी से पीड़ित महिलाएं गर्भधारण कर भी लें लेकिन इस फाइब्रॉएड्स की वजह से मिसकैरेज का खतरा बढ़ता है। डॉ. चंचल कहती है कि फाइब्रॉएड्स का आकार छोटा होता है तो दवाइंयों से ठीक किया जा सकता है परंतु आकार बड़ा होने पर इसका इलाज सर्जरी के जरिए किया जाता है। 

सेक्स के दौरान दर्द होना

यौन संबंध के बनाते समय अगर आपको दर्द का अनुभव हो तो यह इनफर्टिलिटी के लक्षण हो सकता और इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। इसकी वजह एंडोमेट्रिओसिस हो सकती है जो पीरियड्स के अलावा आम दिनों में भी दर्द का कारण बन सकता है। यह टिश्यू अंडाशय, गर्भाशय की नली, केवीटी के बहार के मांसपेशियां, पेलविस क्षेत्र और आंतों के क्षेत्र में रेशे बन जाते है। जिससे अंग आपस में चिपक जाते है जिससे गंभीर दर्द होता है।    

 चेहरे पर बाल बढ़ने के साथ वजन बढ़ना

शरीर में मेल हार्मोन बढ़ने के कारण चेहरे, ठुड्डी और पीठ पर बाल बढ़ने लगते है। इसके साथ शरीर में वजन भी बढ़ने लगता है तो आपको पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या हो सकती है। ऐसी अवस्था में डॉक्टर से परामर्श करें। 

30 से हो चुकी है पार

मां बनने के लिए उम्र भी बेहद अहम भूमिका निभाती है। 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं को कंसीव करने में दिक्कत आ सकती है और तीस के पास पुरुष के स्पर्म की गुणवत्ता भी घटने लगती है।

उम्र के साथ महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही समय के साथ फर्टिलिटी की क्षमता कम हो जाती है।   

वजन कम या ज्यादा होना

कंसीव करने के लिए सही वजन का होना बेहद जरुरी है। अगर आप प्रेगनेंसी की योजना बना रही है तो पहले अपने वजन को नियंत्रित करें। क्योंकि कम या ज्यादा वजन होने से महिला के शरीर में हार्मोन बिगड़ सकते हैं। चाहे वजन कम हो या ज्यादा दोनों ही महिला 


 

इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट- Infertility Treatment in Hindi

यूं तो निसंतानता की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट इन हिंदी मौजूद होते हैं। लेकिन आयुर्वेद में बच्चा न होने की समस्या को दूर करने के लिए दावे किए जाते है। बता दें कि आयुर्वेद में इनफर्टिलिटी को वायु जनित रोग माना गया है।    

डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि इन सभी मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि बाद में पछताने के अलावा हमारे पास कुछ नहीं बचता है। जैसे एलोपैथी साइंस में आईवीएफ एक रास्ता है वैसे ही आयुर्वेद में नेचुरल ट्रीटमेंट भी संभव है। निसंतानता के किसी भी समस्या में आयुर्वेद इलाज सबसे प्रभावी और सस्ता इलाज है। और आईवीएफ के मुकाबले इसकी सफलता दर कही गुणा ज्यादा है।   

आमतौर पर आयुर्वेद में कुछ जड़ी-बूटियों की मदद से इस समस्या से काफी हद तक निजात पाई जा सकती है। उनका कहना था का कि आयुर्वेद में निसंतानता का इलाज आज से नहीं 5000 साल से चला आ रहा है। सबसे आश्चर्य की बात है तो यह है कि आईवीएफ के मुकाबले आयुर्वेद का 90 फीसदी से भी ज्यादा सफलता दर है। 

हमारी पंचकर्म पद्धति इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए सबसे प्रभावी और सस्ता इलाज है।

 

आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज योग क्रिया में छुपा हुआ है । बांझपन में भी अगर नियमित योगा जैसे हस्त पादन , नाड़ी शोधन ,भ्रामरी प्राणायाम ,योग निद्रा इत्यादि करने से बहुत लाभ मिलता है । लेकिन यह योग किसी कुशल एक्सपर्ट की देखरेख में करना चाहिए। योग के साथ आयुर्वेद आपके आहार पर भी ध्यान देता है। यहां आपको स्वास्थ और पाचन प्रणाली का ख्याल रखता है। ऐसा माना जाता है कि हमारे शरीर में सभी बीमारी का जड़ हमारा पेट होता है। इसलिए आहार और आयुर्वेदिक औषधियों के साथ शरीर से विषाक्त पदार्थ को बहार निकालने में मदद करती है। उनका कहना है कि एक डॉक्टर होने के नाते सलाह देती हूं कि आयुर्वेदिक इलाज पर भरोसा रखें जो आईवीएफ के महंगें इलाज से बेहतर है।