Mahila Banjhpan Ke Lakshan, Karan, Ilaj, Dawa, Upchar Aur Parhej

अपने जीवन में हर व्यक्ति एक समय के बाद अपना परिवार पूरा करने की सोचता है। कई लोगों के लिए अपने घर में बच्चे की किलकारी सुनने की इच्छा पूरी नहीं हो पाती है, क्योंकि दम्पतियों में से किसी एक को या दोनों को निसंतानता (Infertility in Hindi) की शिकायत होती है। महिला बांझपन क्या होता है? यह तो लगभग सभी जानते है लेकिन महिलाओं को इसके पीछे होने वाले कारणों की सही जानकारी नहीं होती है। 

आजकल की खराब जीवनशैली और खानपान के चलते महिलाओं को निसंतानता की समस्या हो जाती है। बहुत सी महिलाएं जबतक टेस्ट नहीं करवाती तबतक उनको पता नहीं चलाता की किसी तरह की समस्या है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको महिला बांझपन क्या है? और इसके लक्षण, कारण, इलाज, दवा और परहेज के बारे में विस्तार से बताएंगे। 



 

महिला बांझपन क्या है?- Mahila Banjhpan Kya Hai? 

ऐसा कहा जाता है कि जब कोई महिला 12 महीने या उससे अधिक समय में प्रकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ होती है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में महिला बांझपन कहा जाता है। कुछ महिलाएं शादी के बाद कंसीव नहीं कर पाती है तो कुछ स्त्रियों को एक शिशु को जन्म देने के बाद दूसरी बार गर्भधारण करने में समस्या होती हैं। डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुमान के मुताबिक भारत में बांझपन से ग्रस्त महिलाओं की संख्या 9% से 16% के करीब है। 



 

महिला बांझपन के लक्षण- Mahila Banjhpan Ke Lakshan

महिला बांझपन के लक्षण इस प्रकार से हैं-

  • हार्मोन असंतुलित होना
  • पीरियड्स का असामान्य होना (भारी या हल्का होना)
  • अनियमित पीरियड्स अवधि 
  • पीरियड्स का होना या अचानक से रुक जाना
  • दर्दनाक पीरियड्स की अवधि होना
  • कमर और पेट के निचले हिस्से में दर्द या ऐठन होना
  • मुंहासे होने के साथ त्वचा का तैलिया होना 
  • सेक्स ड्राइव की इच्छा में कमी आना
  • चेहरे, छाती और ठुड्डी पर बालों का  उगना
  • बालों का झड़ना या पतला होना
  • वजन बढ़ना
  • यौन संबंध बनाते समय दर्द होना
  • बार-बार मिसकैरेज होना
  • पीरियड्स में गहरा या फीका रंग होना
  • पैर और हाथ का ठंडा पड़ना
  • आसामन्य योनि रक्तस्राव आना
  • वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज आना
  • पेशाब करते समय दर्द और जलन होना
  • यूटीआई होना
  • योनि संक्रमण होना
  • अन्य संक्रमण होना 

 

महिला बांझपन के कारण- Mahila Banjhpan Ke Karan

कम से कम 10% महिलाएं किसी न किसी प्रकार की बांझपन की समस्या से जूझती हैं। महिला की उम्र बढ़ने के साथ बांझ होने की संभावना बढ़ जाती है। महिला बांझपन कई कारणों से होता है जिसमें मुख्य रुप से निम्न शामिल हो सकते हैं- 

  • गर्भाशय की नली का बंद होना: गर्भाशय की नलियां महिला की प्रजनन प्रणाली का खास हिस्सा हैं। जब किसी कारण महिला की गर्भाशय की नली ब्लॉक हो जाती है तो निषेचन की प्रक्रिया बाधित होती है। अगर महिला की एक नली बंद है तो बांझपन का इलाज के जरिए दूसरी नली से गर्भधारण किया जा सकता है। लेकिन दोनों नलिया (Fallopian Tube) बंद होने के बाद महिला प्रकृतिक तरीके से गर्भधारण नहीं कर सकती है। 

 

  • एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसा विकार है जिससे पीड़ित महिला के गर्भाशय के दिवार जिसे हम एंडोमेट्रलिय ऊतक (Endometrial tissue) कहते है, वैसे ही ऊतक जगह जगह देखने को मिलती है। यह ऊतक अंडाशय (Ovaries), गर्भाशय की नली (Fallopian Tubes), गुहा (Cavity) के बहार के मांसपेशियों में, पेट के निचले हिस्से और आंत के क्षेत्र में रेशे बनाते है। जिससे अंग आपस में चिपक जाते है और भंयकर दर्द होता है। 

 

  • ओवुलेशन विकार: महिलाओं में बाँझपन का सबसे अहम कारक में से एक है ओवुलेशन असामान्यताएं है। ओवुलेशन डिसऑर्डर को एक महिला के मासिक चक्र के दौरान एक अंडे के निर्माण में अनियमितता के रूप में वर्णित किया जा सकता है। 

सरल भाषा में बात करें तो ओवुलेशन डिसऑर्डर होने पर अंडे ओवरी से बाहर नहीं आते हैं जिसके कारण फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। और महिला को गर्भधारण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

 

  • एंडोक्राइन विकार: यह विकार एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करने वाली स्थितियों का एक समूह है। यह एक हार्मोनल विकार है जो ओवुलेशन अवधि में देरी या बाधा का कारण बनता है। यह आपके मासिक धर्म के दौरान अंडे के उत्पादन में गड़बड़ी से परिभाषित करता है। यह अनियमित ओव्यूलेशन या ओव्यूलेशन की पूर्ण अनुपस्थिति का कारण बन सकता है। 

 

  • उम्र: जब एक महिला की उम्र 21 से 30 साल होती है तो उसके गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है। 35 साल की उम्र होने के बाद महिला की प्रजनन क्षमता में कमी देखने को मिलती है।      

ऐसा कहा जाता है कि महिला की उम्र बढ़ने के साथ साथ फर्टिलिटी की क्षमता कम होती जाती है क्योंकि अंडों की संख्या और गुणवत्ता समय के कम हो जाती है। इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के समय अधिकतर कम उम्र की महिलाओं में भी Low AMH की समस्या देखी जाती है। 

 

  • प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर: पीओएफ यानी 40 की उम्र से पहले ओवरीज का सामान्य रूप से काम न करना। कह सकते हैं कि ओवरीज में सामान्य रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण न होना या नियमित रूप से अंडे का रिलीज न होना। इससे निसंतानता या बच्चा न होना आम समस्या है। ये समस्या आनुवांशिक है लेकिन पर्यावरण व जीवनशैली जैसे कि धूम्रपान, शराब पीने की लत, लंबी बीमारी जैसे थायरॉइड व ऑटोइम्यून रोग, रेडियोथैरेपी या कीमोथैरेपी होना भी मुख्य कारण हैं। इसके अलावा जेनिटल टीबी भी उम्र से पहले ओवरीज फेल होने की वजह हो सकती है।

 

महिला बांझपन का इलाज, दवा और उपचार- Mahila Banjhpan Ka Ilaj, Dawa Aur Upchar

यह समस्या एक जटिल परेशानी है जो महिला के गर्भधारण में बाधा डालती है। मॉडर्न साइंस के अलावा 

बांझपन का आयुर्वेदिक इलाज भी मौजूद है। 

 

आयुर्वेद वात-कफ दोष, पचाना और अपान वतनुलोमाना को शांत करने पर केंद्रित हैं। उत्तर बस्ती उपचार में गर्भाशय के जरिए फैलोपियन ट्यूब में एक विशेष प्रकार की औषधीय तेल, घी, या काढ़ा डाला जाता है। इसको करने में मात्रा 15 से 20 मिनट तक का समय लगता है। यह थेरेपी लगातार तीन दिनों तक या रोगी के आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। उत्तर बस्ती प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर, पीसीओएस और पीसीओडी के इलाज में भी उपयोगी है। 

आयुर्वेद अहार-विहार पर सबसे ज्यादा जोर देता है क्योंकि अधिकतर बीमारियों की जड़ हमारे भोजन और जीवनशैली पर निर्भर करता है। इसलिए एंडोमेट्रियम पतली परत वाली पीड़ित महिलाओं को अपने खानपान पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरुरत होती है।

आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जिनके सही उपयोग से आप ओवुलेशन डिसऑर्डर की समस्या को दूर कर सकते है। इनमें महिला बांझपन की दवा और उपचार शामिल हैं-

  1. चंद्रप्रभा वटी
  • चंद्रप्रभा वटी के इस्तेमाल से महिलाओं में इनफर्टिलिटी की परेशानी को दूर किया जा सकता है।
  • चंद्रप्रभा वटी का इस्तेमाल ओवुलेशन डिसऑर्डर को दूर करने के लिए किया जाता है। 
  • ओव्यूलेशन डिसऑर्डर और थायराइड हार्मोन असंतुलित होने की वजह से भी महिलाओं में इंफर्टिलिटी की शिकायत हो सकती है। 
  1. शतावरी
  • आयुर्वेदिक इलाज के दौरान महिलाओं के प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए शतावरी का इस्तेमाल किया जाता है। 
  • ओवुलेशन डिसऑर्डर के इलाज जैसे प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर में शतावरी का सेवन किया जा सकता है। 
  • यह जड़ी-बूटी अंडे को पोषण देने में मददगार साबित होता है। 
  1. अश्वगंधा 
  • अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है और कई स्वास्थ्य स्थितियों में फायदेमंद है। ये महिला में प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देता है।
  • इससे तनाव, पीसीओडी और पीसीओएस के लक्षण को सुधारा जाता है जो कोर्टिसोल के स्तर को संतुलित करता है। 
  1. हल्दी
  • हल्दी में करक्यूमिन मौजूद होता है जो एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से भरपूर होता है। 
  • इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में सबसे अच्छी औषधी है। इसके इस्तेमाल से पीसीओडी, पीसीओएस और अनओवुलेशन की समस्या में सुधार लाने में मदद करता है।



 

महिला बांझपन में क्या परहेज करें- Mahila Banjhpan me Kya Parhej Kare

बांझपन में बहुत सारे कारक जरुरी होते है और उसी के मुताबिक इलाज के समय परहेज करना होता है। आशा आयुर्वेद की इनफर्टिलिटी डॉक्टर चंचल शर्मा बताती है कि सभी पेंशेट को डाइट चार्ट उनके रोग के मुताबिक बनाया जाता है। हमारे बेसिक डाइट चार्ट के जरिए हम आपको एक सामान्य बुनियादी डाइट योजना के बारे में बताने वाले है जो महिला बांझपन ट्रीटमेंट में मदद कर सकते है। जैसे कि 

  • पैकेट बंद खाना: जैसे डबल-रोटी (Bread), रस-फैन जो हम चाय के साथ लेंते है, केक-पेस्ट्री (Cake-Pastries) और अन्य पेक्ट बंद पदार्थ का सेवन करना पूरे तरीके से बंद कर दें। ऐसे पदार्थ का सेवन करने से हमारा शरीर पचाने में ज्यादा मेहनत करता है या फिर ऐसा पदार्थ पचता ही नहीं है और बीमारी का कारण बनता है।   
  • चाय या कॉफी: बहुत ज्यादा या चाय या कॉफी का सेवन करना बंद कर दें। इसे खाली पेट पीने से पेट में एक परत बन जाती है, उसके बाद आप जो कुछ भी खाते है तो आपका शरीर में बहुत ही कम सोखता है। 
  • बादी वाले पदार्थ: ऐसे पदार्थ का सेवन बिल्कुल न करें। जैसे की गोभी, अरबी, बेगन का सेवन कम करें, चावल (मांड निकालकर खांए), मेदे से बने पदार्थ का सेवन न करें। 
  • विटामिन-सी: विटामिन-सी बहुत ही एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है जो जख्म को ठीक करने में मदद करता है। विटामिन-सी स्रोत में आंवले बहुत ही फायदेमंद है और रोज इसका सेवन कर सकते है।            
  • हल्दी: हल्दी में एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है जो किसी भी तरह के संक्रमण से होने वाली समस्या और सुजन को कम करता है। इसका चुटकी (एक चौथाई) भर सेवन कर सकते है।
  • सोंठ: सुखी अदरक का सेवन कर सकते है। साधारण अदरक पित्त बढ़ाती है। सोंठ आम पाचन करती है यानी की जो आम दोषा आपके श्रोतस में जाकर Tubal Blockage का कारण बनता है उसको ठीक करने में मदद करती है। साथ ही सोंठ में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है जो इम्युनिटी को बूस्ट करने में मदद करती है।