All about Fallopin Tube Blockage - Aasha Ayurveda

Fallopian Tube Blockage की पूरी जानकारी -

बांझपन की समस्या लगातार बढ़ रही है और अलग अलग उम्र की महिलाएं को प्रभावित कर रही है। महिलाओं में प्रजनन में संबंधी समस्याएं प्रचलित है, जो उनके गर्भधारण करने की क्षमता को सीमित कर देती हैं। 

अधिकांश महिलाओं को 35 साल की उम्र में गर्भधारण करने की समस्या होती थी, लेकिन आजकल 21 से 25 साल की महिलाओं में ट्यूबल ब्लॉकेज की समस्या देखी जाती है। हर 4 में सेे 1 महिला में ट्यूबल ब्लॉकेज की समस्या देखी जाती है। आज इस लेख के माध्यम से हम ट्यूबल ब्लॉकेज क्या है? और ट्यूबल ब्लॉकेज कैसे खोलें जैसे सलावों की हर जानकारी आपको विस्तार से बताएंगे।   


 

ट्यूबल ब्लॉकेज क्या है?- Tubal Blockage Kya Hai

फैलोपियन ट्यूब महिला प्रजनन अंगों का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो अंडाशय और गर्भाशय से जुड़ते हैं। महिला प्रजनन कैसे प्रभावित होती है, यह समझने के लिए जरूरी है कि ट्यूबल ब्लॉकेज का क्या है। जैसे की नाम से पता चल रहा है कि यह फैलोपियन ट्यूब में होने वाली रुकावट को संदर्भित करता है जो अंडे और शुक्राणु के मिलने और निषेचन (Fertilized) में बाधा डालता है। और महिला गर्भधारण करने में असफल रहती है।

ऐसा कहा जाता है कि ओव्यूलेशन के दौरान, फैलोपियन ट्यूब एक अंडाशय से एक अंडे को गर्भाशय में ले जाती है। उस दौरान जब महिला संबंध बनाती है तो फैलोपियन ट्यूब में रुकावट होने से शुक्राणु बहार ही रह जाते है और निषेचन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है। 

एक ट्यूब बंद होने के बावजूद महिला दूसरी ट्यूब से फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के जरिए गर्भधारण कर सकती है। अगर किसी महिला की दोनों ट्यूब ही बंद है तो नेचुरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर सकते है।

 

ट्यूबल ब्लॉकेज के लक्षण- Tubal Blockage Ke Lakshan

फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज के लक्षण निम्न प्रकार से हैं-

  • गर्भधारण न कर पाना
  • पीरियड्स के दौरान दर्द होना
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
  • वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज होना
  • संभोग करते समय दर्द और जलन होना 

 

ट्यूबल ब्लॉकेज के कारण- Tubal Blockage Ke karan

महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब बंद होने के मुख्य कारणों में शामिल हैं-

  • गर्भाशय में टीबी होना (Uterine TB)
  • एंडोमेट्रिओसिस की समस्या होना (Endometriosis)
  • हाइड्रोसालपिनक्स की समस्या होना, जिसमे ट्यूब में पानी भर जाना। (Hydrosalpinx)
  • बार बार मिसकैरेज की समस्या होना (Recurrent Miscarriage)
  • पेट की सर्जरी के कारण (Abdominal surgery)
  • संक्रमण के कारण (Sexually Transmitted Disease)
  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease)
  • यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection)  
  • रसौली (fibroids)
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy)

 

ट्यूबल ब्लॉकेज के प्रकार- Tubal Blockage ke Prakar

ब्लॉकेज के स्थान के अधार पर तीन प्रकार के ब्लॉकेज फैलोपियन ट्यूब में देखने को मिलते हैं। जैसे कि 

  • प्रॉक्सिमल ट्यूबल ब्लॉकेज: इस स्थिति में फैलोपियन ट्यूब गर्भाशय की तरफ से बंद होता है।  
  • मिडिल ट्यूबल ब्लॉकेज: इस स्थिति में फैलोपियन ट्यूब बीच से ब्लॉक हो जाती है।  
  • डिस्टल ट्यूबल ब्लॉकेज: इस स्थिति में फैलोपियन ट्यूब फिम्ब्रिया के पास ब्लॉक होता है जो अंडाशय को जोड़ता है। 

 

ट्यूबल ब्लॉकेज का निदान- Tubal Blockage Ka Nidan

ट्यूब ब्लॉकेज का निदान कई तरीको से हो सकता है। इन निम्नलिखित में ट्यूबल ब्लॉकेज की जांच में होने वाले परिक्षण शामिल हैं-

 

  • हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम (Hysterosalpingogram): हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम HSG के नाम से जाना जाता है जो एक प्रकार का बेसिक एक्स-रे टेस्ट है। इस टेस्ट को करने के लिए पहले एक प्रकार की डाई को गर्भाशय ग्रीवा (uterine cervix) में डाला जाता है। धीरे-धीरे यह डाई गर्भाशय में फैल जाती है। जब डाई अच्छी तरह से फैल चुकी होती है तो एक्स-रे किया जाता है। अगर ट्यूब बंद है तो डाई बहार नहीं आती है पर ट्यूब खुलने की स्थिति में डाई बहार आ जाती है।   
  • क्रोमोट्यूबेशन (chromotubation): इस टेस्ट में डॉक्टर महिला के योनी मार्ग में नीले रंग की डाई डालते है। डॉक्टर इस टेस्ट के जरिए देखते है कि डाई फैलोपियन ट्यूब में तक पहुंचता है या नहीं। यह देखकर डॉक्टर ट्यूबल ब्लॉकेज का पता लगाते है।  
  • सोनोहिस्टेरोग्राम टेस्ट (Sonohysterogram): यह एक प्रकार का Ultrasound Test है। इस टेस्ट मे Fallopian Tubes की तस्वीर पाने के लिए ध्वनि तरंगों का प्रयोग किया जाता है। 3 लेप्रोस्कोपी, सर्जन द्वारा किया जाता है इसके द्वारा फैलोपियन ट्यूब की अंदरूनी तस्वीर ली जाती है। यह अवरुद्ध नलियों के लिए सबसे सटीक परीक्षण माना जाता है। 

 

ट्यूबल ब्लॉकेज की जटिलताएं-

ट्यूब में होने वाली रुकावट की जटिलताओं में शामिल हैं:

 

  • गर्भ धारण करने या गर्भवती होने में असमर्थ
  • जख्मी ऊतक (Tissue) 
  • अन्य अंगों को नुकसान
  • अस्थानिक गर्भावस्था (ectopic pregnancy)
  • आंतरिक रक्तस्राव (internal bleeding)
  • प्रजनन प्रणाली में संक्रमण (reproductive tract infection)

 

ट्यूबल ब्लॉकेज का इलाज- Tubal Blockage ka Ilaj

निसंतानता की समस्या में ट्यूबल ब्लॉकेज बेहद जटिल होती है। ऐसे कई कारक होते है जो एक महिला में निसंतानता के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ज्यादातर महिलाओं को टेस्ट के बाद पता चलता है कि ट्यूब ब्लॉक है।  ऐसे में महिला सोचती है कि ट्यूबल ब्लॉकेज को कैसे रोकें।   

आजकल के लोग आईवीएफ के मुकबाले अन्य विकल्पों को तलाशने की कोशिश करते है। निसंतानता की समस्या में आयुर्वेद से बिना किसी चीर-फाड़ के इस विधि से ट्यूबल ब्लॉकेज को ठीक किया जाता है।    

इस पद्धति में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां और तेल को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। यह थेरेपी तीन महीने या रोगी के स्थिति के अनुसार होती है। आयुर्वेद में पंचकर्म पद्धति में उत्तर बस्ती सबसे फायदेमंद इलाज है जो आईवीएफ के मुकाबले सबसे सस्ता और प्रभावी इलाज है। और आयुर्वेद इलाज 90 फ़ीसदी से भी ज्यादा सफलता दर है जो बेहद आश्चर्यजनक परिणाम है।

 

ट्यूबल ब्लॉकेज में परहेज- Tubal Blockage Mein Parhej

ट्यूब ब्लॉकेज में बहुत सारे कारक जरुरी होते है पर ट्यूबल ब्लॉकेज को कैसे दूर करें। ट्यूबल ब्लॉकेज के इलाज में डाइट के जरिए समस्या को ठीक किया जा सकता है। हमारे बेसिक डाइट चार्ट के जरिए हम आपको एक सामान्य बेसिक डाइट योजना के बारे में बताने वाले है जो ट्यूबल ब्लॉकेज इलाज में मदद कर सकते है। जैसे 

 

  • पैकेट वाला खाना (Processed food): जैसे डबल-रोटी (Bread) रस-फैन जो हम चाय के साथ खाते है, केक-पेस्ट्री (cake-pastries) और अन्य पेक्ट बंद पदार्थ का सेवन करना पूरे तरीके से बंद कर दें। ऐसा पदार्थ का सेवन करने से हमारा शरीर पचाने में ज्यादा मेहनत करता है या फिर कुछ मामलों में ऐसे पदार्थ पचते नहीं है और बीमारी का कारण बनता है।   
  • चाय या कॉफी (Tea or Coffee): बहुत ज्यादा या चाय या कॉफी का सेवन करना बंद कर दें। इसे खाली पेट पीने से पेट में एक परत बन जाती है, उसके बाद आप जो कुछ भी खाते है तो आपका शरीर बहुत ही कम सोखता है। 
  • बादी वाले पदार्थ: गैस बनने और पेट फूलने वाले पदार्थ का सेवन बिल्कुल न करें। जैसे की गोभी, अरबी, बेगन का सेवन कम करें, चावल (मांड निकालकर खांए), मेदे से बने पदार्थ का सेवन न करें। 

 

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